तुझमें खोया रहा, खुद को खोता गया
तुझमे खोया रहा, खुद को खोता गया ,
न पता ये चला कब तेरा हो गया,
पहले दिन था मेरा थी रातें मेरी,
अब हर पल मेरा तेरा हो गया,
लफ्ज़ बेबस रहे आखें थी गमनशी,
आंसुओ से मैं बिस्तर बिगो सा गया,
थी वफ़ा की कमी या तू बेवफा,
या किस्मत मेरी थी मुझसे खफा,
तू खुश है जहा मैं तो हूँ नहीं,
मैं खुश हूँ जहा वहां भी हूँ नहीं ,
चांदनी रात में होती बरसात में,
तेरा चेहरा मुझे याद क्यूँ आ रहा,
आँखों में है नमी लफ्ज़ खामोश है,
दर्द ऐसा है ये न सहा जा रहा,
जाने जां हमनशी तुझसा कोई नहीं,
तुझसे ऐसा ये क्या है नशा हो गया ,
पल ये कटते नहीं दिन बिताता हूँ मैं,
बरसों की है तलब आ मिटा जा ज़रा,
क्या खता थी मेरी मैं समझ न सका,
मुझसे रूठा तू क्यों ये बता जा ज़रा ,
इतना टुटा हूँ मैं अब बिखर जाऊंगा ,
आया गर जो न तू मैं तो मर जाऊंगा ,
आखें दीदार को जो तड़प ये रही,
इन आखों की लाली हटा जा ज़रा ,
मन मेरा तुझको ये देता दिल से दुआ ,
तू रहे भी जहा खुश रहे तू वहा ,
खुद को खोया हूँ मैं खुद को पा न सका ,
तुझको पता न चलेगा, कहा मैं गया …