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21 Oct 2021 · 1 min read

तीली बोली फुस्स (बाल कविता)

तीली बोली फुस्स(बाल कविता)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””
आतिशबाजी की दुकान में
जाकर गए चुराए,
बन्दर मामा अपने घर में
ढेर पटाखे लाए

बन्दरिया घर-घर घूमी तो
दियासलाई पाई,
आग लगाने को आतिशबाजी
तीली सुलगाई

तीली बोली फुस्स
हो गई थी बारिश से गीली,
धरी रह गई आतिशबाजी
हर तीली थी सीली ।।
“””””””””””””””””””””””””””””””””
स्चयिता :रविप्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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