तीये की बैठक
“तीये की बैठक”
तथागत का हंसता सा चित्र
पुष्प हारों से हो रहा सुवासित
कोविद, आगन्तुक सभी उपस्थित
अब होगा गरूण पुराण वाचित!!
परिचित दिख रहे हैं गमगीन
दिवंगत आत्मा में ही हैं लीन
कैसे शोकाकुल व्यथित गम्भीर
जैसे लुट गयी हो कोई जागीर!!
अम्यागत की अब शुरू हुई कतार
कुछ संबंधी आज आये पहली बार
कुछ कैसे बिलख रहे जारम जार
जैसे सारा आज दिखायेंगे प्यार!!
वनिताओं की है एक अलग कतार
पुरूष वर्ग भी शांत पंक्तिबद्ध प्रकार
धीमी फुसफुसाहटें कर रहीं प्रसार
गोल मटकती आंखे होती दो चार
इसमें तेरी मेरी की आयोजक कर्ता
सबकी दुख भंजन और दुख हरता
लेकर आयी कुंवारो की सूची श्रेष्ठता
उद्देष्य नयी जोङी की परिणयता !!
कोई खोलती जमाने भर का पिटारा
फलाने की छोरी फलाने का छोरा
ऐसी थारी म्हारी के हर कोई हारा
ना छोङे सासू ननद, ना पति बेचारा!!
अब आयी घङियाली आंसू की बारी
कोई आंख पोछे ,कोई का रोना जारी
जाने वाला गया, कौन खबर ले हमारी
आज तेरी बारी, कल होगी मेरी बारी!!
ये तीये की बैठक का तत्कालीक बखान
कौन सुनाने सुनाने आता है गरूण पुराण
सिर्फ रिश्तो की औपचारिकता का निभान
अरे! सुनोे, दुनियां क्या कहेगी बस ये जान!!
डा. निशा माथुर ( स्वरचित)