तीज मनावां
आ जाओ कुछ इस तरियां आपाँ तीज मनावां।
भाईचारे अर प्रेम की लांबी पींग आपाँ बधावां।
रल मिल कै बहु भाण बेटियां नै झुलाण चालां,
कोय बी पेड़ खाली ना पावै सब प पींग घालां,
ले कै दो दो चार चार झुटे आपाँ कानां नै गालां,
पकड़ कै लंगर आपाँ पींग नै शिखर म्ह चढ़ावां।
छोरी बहु गीत गावैंगी जद न्यारा आनंद छावैगा,
तीजां नै राम बी राजी हो सुथरा मींह बरसावैगा,
मीठी मीठी बूँदा म्ह झुल्दा हाणी जिस्सा आवैगा,
कह कै नै उण धोरै सासु जी का नाक तुड़वावां।
देसी खाना बणावां आपणै घरां कढ़ाही चढ़ा कै,
सारै राजी होज्यां खीर, हालवा, गुलगुले खा कै,
घी सा घल ज्या भई हाँसी ख़ुशी त्यौहार मना कै,
भुला कै आपणी दुश्मनी सबनै आपाँ गले लगावां।
कह गुरु रणबीर सिंह आड़े रीत रिवाज न्यारी सं,
भाईचारे अर प्रेम की ये हामनै देवैं सीख भारी सं,
सुलक्षणा नै बी लागैं रीत रिवाज जी तै प्यारी सं,
चालो रल मिल कै आपणी रीत रिवाजां नै बचावां।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत