तीज(गीतिका छन्द)
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तीज व्रत हरितालिका शुचि है समर्पित शिव प्रिया।
प्राप्त शिव वर रूप में यह ध्यान रख तूने किया।।
घोर तप उपरान्त शिव ने आपको दर्शन दिया।
साधना शुचि थी सफल शंकर सदाशिव पा लिया।।१।।
हे हिमालय की सुता! वह तिथि हुई मंगलमयी।
अथ सुहागिन को सदा सौभाग्य दे ममतामयी।।
दीर्घजीवी पति बने सिन्दूर दमके माॅंग में।
कान्तिमय भूषण सुशोभित सुन्दरी सर्वांग में।।२।।
तू सदाशिव की प्रिया पति की प्रिया नारी बने।
प्रेम-श्रद्धा साथ में विश्वास सुचिता हृद जने।।
कामना यह पावनी पूरी करें जगदम्बिका।
हर घड़ी अवलम्ब तेरा प्राप्त हो अवलम्बिका।।३।।