“तीखें शब्द”
“तीखें शब्द”
पहचान तो बड़ा चढ़ा कर ही दिखाओंगें ना अमीरों से,
तीखें शब्द तो बचाकर रखें है तुमनें गरीबों के लिए…!
सावन भी अपनी पहली झलक
दिखाता है मयूर के लिए…!!
उसे भलां कौन रोक सकता है
बाढ़ तो आएंगी सिर्फ निर्धन के लिए…!!!
ढाँक देता है रंग बिरंगी वस्त्रों से,
लाज जरूरी तो नही तन के लिए…!!!!
प्रीत तो बन ही जाएगी मगर कोई
तो चाहिए ना मनमीत के लिए…!!!!!
रुकने ना दो तुम इस तांडव को, आखिर कोई तो खब़र बचानी पडेगी ना कल के अखबार के लिए…!!!!!!
क्या इसी जीवन में कर लोगें सारे पाप, कुछ तो
बचा कर रख लो ना अगले जनम के लिए…!!!!!!!
आरती तुम कहाँ करती हो उनका इस्तेमाल
फल- फूल का उत्पाद तो करते है पेड़- पौधे खुद के लिए…!!!!!!!!
आरती सुधाकर सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश.