तिश्ना तिश्ना सा है आज नफ्स मेरा।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
तिश्ना तिश्ना सा है आज नफ्स मेरा।
जख्मों को मेरे आ कर दर्दों ने घेरा।।,,,
अब किसको सुनाए हाल दिल का।
जिन्दगी है शबे दर्द होता ना सवेरा।।1।।
कबसे खड़े है तन्हा मुंतजर राहों में।
आता नहीं करार ज़रा सा सांसों में।।,,,
जा कर उनको कोई दे दे यह ख़बर।
यार बिना सुकून कहां है दीवानों में।।2।।
सदा बात ना बनती है अल्फाजों से।
कबतक बहे हम अपने जज्बातों में।।,,,
एक हम ही है क्या जो करे ये इश्क।
वो भीतो दिखाए ज़रा अहसासों में।।3।।
बहुत दिखा दी हमने वफा प्यार में।
मिट गए हम अकीदे में दिलदार के।।,,,
उनमें बाकी ना रहा निशां इश्क का।
बेहिस ने छोड़ा हमको बीच राह में।।4।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ