Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2016 · 1 min read

तिश्नगी दिल की वो बढ़ाते हैं

तिश्नगी दिल की वो बढ़ाते हैं
दुश्मनी हमसे ज्यों निभाते हैं

बेहयाई तो देखिये उनकी
ज़ख्म देते हैं मुसकुराते हैं

लूट लेते हैं वो ही गुलशन को
जिनको हम बागबाँ बनाते हैं

मंज़िलें साथ छोड़ जाती है
रास्ते ही वफ़ा निभाते हैं

एक छोटी सी बात में कितने
लोग मफ़हूम ले के आते हैं

फूल आए न आए हिस्से में
ख़ार से ज़िंदगी सजाते हैं

लोग दौलत के वास्ते ‘माही’
आदमीयत को बेच जाते हैं

माही

427 Views

You may also like these posts

खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
शीर्षक – वो कुछ नहीं करती हैं
शीर्षक – वो कुछ नहीं करती हैं
Sonam Puneet Dubey
हकीकत असल में
हकीकत असल में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
बंदर के तलवार
बंदर के तलवार
RAMESH SHARMA
शुक्रिया-ए-ज़िंदगी तेरी चाहतों में,
शुक्रिया-ए-ज़िंदगी तेरी चाहतों में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* पेड़ काटना बंद कीजिए*
* पेड़ काटना बंद कीजिए*
Vaishaligoel
जिंदगी में आते ही है उतार चढाव
जिंदगी में आते ही है उतार चढाव
shabina. Naaz
जिंदगी में मस्त रहना होगा
जिंदगी में मस्त रहना होगा
Neeraj Agarwal
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
"स्व"मुक्ति
Shyam Sundar Subramanian
श्री शूलपाणि
श्री शूलपाणि
Vivek saswat Shukla
" प्रेम "
Dr. Kishan tandon kranti
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
Phool gufran
3332.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3332.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मायूस
मायूस
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मेरा नाम .... (क्षणिका)
मेरा नाम .... (क्षणिका)
sushil sarna
#यूँ_सहेजें_धरोहर....
#यूँ_सहेजें_धरोहर....
*प्रणय*
छुट्टी का इतवार नहीं है (गीत)
छुट्टी का इतवार नहीं है (गीत)
Ravi Prakash
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
Piyush Goel
Zomclub là cổng game bài đổi thưởng uy tín nhất năm 2024. Ch
Zomclub là cổng game bài đổi thưởng uy tín nhất năm 2024. Ch
Zomclub
वादी ए भोपाल हूं
वादी ए भोपाल हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🇮🇳स्वतंत्रता दिवस पर कविता🇮🇳🫡
🇮🇳स्वतंत्रता दिवस पर कविता🇮🇳🫡
पूर्वार्थ
दर्द इन्सान को
दर्द इन्सान को
हिमांशु Kulshrestha
पिता
पिता
विजय कुमार अग्रवाल
आवाह्न स्व की!!
आवाह्न स्व की!!
उमा झा
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे  शुभ दिन है आज।
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे शुभ दिन है आज।
Anil chobisa
चाय
चाय
Ruchika Rai
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
मै हारा नही हूं
मै हारा नही हूं
अनिल "आदर्श"
Loading...