” तिलिस्मी जादूगर “
” तिलिस्मी जादूगर ”
जादू से सबको रहस्यमयी बनाता
बच्चों के मन में उत्साह भर देता
कभी मानव को हवा में उड़ा देता
बूढ़ा कभी तो खुद बच्चा बन जाता,
जादुई नोटों से कभी बरसात करता
खरगोश को कभी कबूतर बना देता
एक छतरी से निकाले अनेकों छाते
रुमाल से कभी तिरंगा झंडा बना देता,
खाली भगोने से ये निकालता पानी
वाटर ऑफ इंडिया ख़तम नहीं होता
झोले से निकालता बर्तन और मिठाई
बिना बटन के रेडियो से संगीत बजाता,
कोरे कागज को जलाकर पैसे बनाता
राख में से ये पुष्प गुच्छ निकाल लाता
बच्चों के बाल मुख से टोटके बुलवाता
ताली बजा बजा फिर सबको हंसाता,
रस्सी से कस कर खुद को बांध लेता
आग से बचकर फिर भी निकल जाता
छोटे बॉक्स में लड़की को कैद करता
चारों ओर बॉक्स में तलवार डालता,
अपने जादू का पिटारा जब खोलता
सबके मुखारविंद से वाह निकलता
जादूगर की अपनी अलग ही दुनिया
हर वर्ग को हर्षो उल्लास से भर देता,
विज्ञान की मदद से ये खेल दिखाता
तिलिस्मी दुनिया का है ये महाराजा
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को गायब करता
तभी तो तिलिस्मी जादूगर कहलाता।