तिरंगे से सजा फिर आज हिन्दोस्तान हो जाये
बने भारत जगत सिरमौर ये अरमान हो जाये
तिरंगे से सजा फिर आज हिन्दोस्तान हो जाये
मुसलमां सिक्ख ईसाई, नहीं हिन्दू रहे कोई
भुला दें जातियाँ सारी चलो इंसान हो जायें
नहीं भूखा रहे कोई, गरीबी हो न लाचारी
नए भारत का देखो फिर नया निरमान हो जाये
किसानों के खिले चेहरे, पसीने से उगे सोना
फसल झूमे, भरे सब खेत भी खलियान हो जाये
करें नारी की सब इज्जत, नहीं अब कोख हत्या हो
चलो ठाने, सभी दिल से, यही अभियान हो जाये
लगे है आज मेले भी, शहीदों की चिताओं पर
रगों में देशभक्तों का, लहू कुरबान हो जाये
तिरंगी शान हो ऊँची, तिरंगा साथ फहराएँ
हरा भगवा मिले फिर श्वेत ये परिधान हो जाये
नहीं आतंक की हो आग, साये हो न दहशत के
दिलों में आज जन गण मन का फिर गुणगान हो जाये
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’