तिरंगे को ओढ़कर
माँ-बाप,बीवी-बच्चों से सब नाता तोड़कर
फिर चल दिया जवान तिरंगे को ओढ़कर
बड़ी मन्नतों के बाद जिसे पाया था,गया
कंधों पे बूढ़े बाप के जनाजा आ गया
सेहरा न सजा बेटे का सब ख्वाब बह गए
अरमान दिल के चीखते दिल में ही रह गए
लेकर गया वो संग में खुशियाँ घसीटकर
रोती है बूढ़ी माँ भी सीना पीट पीटकर
बीवी न समझ पाई राम ये क्या हो गया
उसको बताए कौन कि सिन्दूर खो गया
कहकर के बेटा जिसने बुलाया,नही रहा
बच्चों के सर पे बाप का साया नहीं रहा
रो रही थी सोच सोचकर के माँ जाई
अब कहाँ मिलेगी वो भाई की कलाई
परिवार का भविष्य भी संकट में पड़ गया
गुलशन था जो आबाद किसी का उजड़ गया
बस एक पल में सपनों का संसार ढह गया
न जाने कैसे दर्द इतना देश सह गया
कैसे भला अब मुल्क में हलचल नहीं होगी
चुप रहने से समस्या कभी हल नहीं होगी
अब एक-एक मौत का हिसाब दीजिए
मोदी जी आज जनता को जवाब दीजिए