तिरंगे की शान
मनहरण घनाक्षरी – तिरंगे की शान
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(1)
धूल चटा शत्रुओ को,
कर देते अस्त पस्त।
शत्रु को हरा देना ही,
सैनिकों का काम है।
(2)
मेरे इन जवानों के,
बढ़े आन बान नित।
करे रक्षा सीमा पर,
नित्य अविराम हैं।
(3)
पीछे नहीं हटते हैं,
रात दिन डटते हैं।
इनसे ही सुरक्षित,
भारत का धाम है ।
(4)
शीश भी चढ़ा देते है,
तिरंगे की शान बन।
ऐसे वीर जवानों को,
सादर प्रणाम है।।
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रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ. ग.)
मो. 8120587822