तिरंगा
सप्त रंग का इंद्रधनुष ज्यों,
दिखता रंग विरंगा है।
वैसे देश की आन बान व
शान ये ध्वजा तिरंगा है।
मन आह्लादित हो जाता जब,
राष्ट्र ध्वजा फहराता है।
पूर्ण स्वतंत्र देश है अपना
झंडा यही दर्शाता है।
सकल प्रभुत्व सम्पन्न युक्त है,
त्रय रंग यही बताते हैं।
जब भी ध्वज लहराए तिरंगा,
जन अतिशय हर्षाते हैं।
बलिदानों का जज्बा कायम,
रंग केशरिया में रहता।
सत्य अहिंसा शांति प्रेम को,
धवल श्वेत खुद ही कहता ।
हरा रंग में निहित समृद्धि,
सस्य श्यामला हरियाली।
सागर नदी, अचल और कानन,
देश के बनते खुशहाली।
श्वेत मध्य का नील चक्र जो,
धर्म न्याय को है कहता।
देशभक्ति दर्शाये तिरंगा,
जोश धैर्य बनकर बहता ।
“देश प्रथम सदैव” यही नारा
मूल कथ्य यही सब जन में।
‘हम भारत के लोग’ का है प्रण,
अधिनायक मेरा ध्वज मन में।
साल चौहत्तरवां का गणतंत्रम,
लेकर आया ये संदेश।
सब जन मिलकर रहो चलो संग,
समृद्धिशाली हो निज देश।
वन्देमातरम जयहिन्द बोलो,
भारत माता की कहो जय।
बोलो जय हो ध्वजा तिरंगा,
एक राग एक सुर एक लय।
-सतीश सृजन लखनऊ उ.प्र.