तितली रानी
तितली रानी तितली रानी
मेरे पास भी आओ ना
अपने प्यारे रंग – बिरंगे
पंख हमे दिखलाओ ना।
कितनी फुर्ती तुम में भरी है
कितनी चंचलत हो तुम
पल में यहाँ तो पल में वहाँ
कहाँ कहाँ फिरती हो तुम
अपने पंखों पर बिठा कर
हमें भी तो घुमाओ ना।
बाग -बगीचे में पेड़ पौधों के
फूलों पर मँडराती हो
तरह-तरह के फूलों का
मधुर रस तुम पीती हो
अपने मुख से थोड़ा-सा रस
हमें भी तो पीलाओ ना।
इन्द्रधनुष से पंख तुम्हारे
बार – बार फैलाती हो
सतरंगी है छटा तुम्हारी
आँखों में बस जाती हो
अपने रंगों की दुनिया में
हमें भी ले जाओ ना ।
तितली रानी तितली रानी
मेरे पास भी आओ ना
अपने प्यारे रंग – बिरंगे
पंख हमे दिखलाओ ना।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’