तितलियां
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ये कहानी है तितलियों की,
जो सपनों की उड़ान है लेती,
बड़े नाज़ुक है पंख उनके,
कितने खाब सजाये उड़ती,
चुपके-चुपके कितने फूलों पर चलती,
तभी एक हाथ आता है,
उनको खाब तोड़ जाता है,
फ़िर से नई तितली आती है,
लोगों से घबराती है,
अपने पंख फेलती है,
हर दिन को खुश हो कर जीत,
लोगों से है डर कर जीती,
फ़िर भी ऐसे उड़ जाती है,
जैसा और जीना चाहती है,
किसकी जिंदगी नहीं छीनो,
हर किसी को हक है खुद जीने का,
आसमां में उड़ने का,
खुल कर सपने जीने का।