तितलियां
पहले कभी
कितनी तितलियां मंडराती रहती थी
घरों के कमरों, बरामदों, आंगन,
पिछवाड़े और छत पर
यूं ही
बिना बागों के
बिना फूलों के
अब तो यह शहर से दूर
गांवों में
गांव से दूर जंगलों में भी
नहीं दिखती
खो गई है यह भी
रंगों की सतरंगी दुनिया की
तरह
कभी कभी आसमान की
कमान से निकलते
इन्द्रधनुष के तीर की तरह
अपने कहीं होने के
निशान भी नहीं छोड़ती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001