ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
नाव कागज की बारिश में चलाते नहीं
बड़े हो गए हैं हम क्या करें मेरे हुजूर
रिश्ते पहले जैसे अब हम निभाते नहीं
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश