तालिबान आतंकी
तूने किया है सौदा, दहशतगर्दी से राज का
ए आतंक के मुहाफ़िज़, ख़ुदा भी पशेमान है तुझपर ।।
हाथों में हथियार लेकर, तू राख करता खुदा के बाग को
ए बेशर्म बुजदिल आतंकी, कभी पानी भी दिया खुदा के बाग को..।।
आखों में नफरत और चेहरे पर जंगलियत को खुदाई कहता है ।
तूने खुदा को जाना ही क्या है, तू मतलबपरस्ती को खुदाई कहता है ।।
गर मषीहा बनने की तमन्ना रखता है दिल में, गर निगहबानी की चाहत रखता है दिल मे ।
तो तौबा कर खुद-परस्ती से , पहन कर काँटों का ताज सिर पर और मचलजा सरपरस्ती से ।।
ये मासूम, मजबूर रिआया, महिला, बच्चों से बैर करता है
यही आँखें है ख़ुदा की, तू इस नूर को कैद करता है ।।