भिनसार हो गया
तारे सारे लुप्त हो गए,
अम्बर में कहीं सुप्त हो गए।
रजनी गई आ रहा घामा,
कहाँ है देखो चंदा मामा।
चलो उठो भिनसार हो गया,
चौतरफा उजियार हो गया।
सभी पखेरू तजा घोंसला,
विरवों में है नया हौंसला।
दिनकर किरण पसार रहें हैं,
तम आलस्य को बुहार रहे हैं।
योगा कर रहे सब वृद्ध जन्ने,
चौपाये भी हुए चौकन्ने।
तू अब तक क्यों सोय रही है,
प्रात का अवसर खोय रही है।
सुस्ती तज उठ हरि को घ्याओ,
जीवन में प्रतिदिन सुख पाओ।
सतीश सृजन