तारे गिन कर रात बिताऊं
तारे गिन कर रात बिताऊं
किस किस को ये बात बताऊं
दिल की पीड़ा सही न जाए
किस को दिल का जख्म दिखाऊं
तारे गिन कर………
वीणा के तारों की सरगम
विगत दिनों से लगती मद्धम
तनहाई में रोकर अपने
जख्मों पर ही नमक लगाऊं
तारे गिन कर…….
उनको मेरी खबर नहीं है
मेरे दिल में सबर नहीं है
उनके संग बीते लम्हों को
बोलो मैं कैसे बिसराऊं
तारे गिन कर……..