तारीफ में कंजूसी क्यों ?
जाने क्यों लोग इतने कंजूस ,
क्यों हो गए हैं ।
दो पैसे की मदद करने की बात छोड़ो ,
तारीफ के दो शब्द बोलने इन्हें ,
भारी पड़ गए हैं ।
क्या नहीं जानते यह ,
या जानकर भी अनजान बन गए हैं ।
दो शब्द तारीफ के क्या कमाल करते हैं !
किसी के चेहरे पर रौनक आती है ।
दिल खुशी से भर जाता है ।
जीने की ललक जाग जाती है ।
कुछ और बेहतर कार्य करने की ,
प्रेरणा मिलती है ।
नए नए विचार जहन में उपजते हैं।
इंसान उत्साह से भर जाता है ।और
सबसे बड़ी बात दुयायें मिलती हैं ।
ऐसे लोगों से भगवान भी खुश होता है ।
वो भी कृपा करता है ।
मगर इन्हें क्या !!
इन्हें कुछ नहीं चाहिए ।
यह कंजूस ही नहीं शायद अहंकारी भी हैं ।
औरों की अपने से कमतर / तुच्छ समझते हैं।
तभी तो तारीफ करने में गुरेज करते हैं।
मगर औरों को सत्संग करेंगे ।
“” जायदा किसी की उम्मीद मत करो “”
कितने छोटे दिल के लोग हैं ।
छोटी सोच वाले !!
लेकिन क्या किसी की तारीफ करने से ,
आपका कुछ घट जाएगा ?
अब इंसान अपनो से उम्मीद न करे ,
तो की गैरों से करे!
गैर तो तारीफ कर ही देंगे ,
तो अपनो का क्या फायदा ?
मरने के बाद तो सभी तारीफ करते हैं ,
बात तब जब जीतेजी तारीफ किया जाए ।
जब सुनने वाला ही न रहा तो ,
उस तारीफ का क्या फायदा ?
इसीलिए सुनो बुद्धिजीवियों ! कंजूसी छोड़ो ।
खूब तारीफ करो ।
तारीफ करने से आपका कुछ नहीं घटेगा।
इससे आपके खाते में पुण्य कर्म बढ़ेगा,
जो आपकी मुक्ति का मार्ग खोलेगा।