Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2022 · 1 min read

तारीफ़ क्या करू तुम्हारे शबाब की

तारीफ क्या करू,तुम्हारे शबाब की।
तुम तो पंखुड़ी हो, लाल गुलाब की।।

चेहरे पर नूर है जैसे चांदनी का हो नूर।
खुबसूरती पाई है तुमने बे हिसाब की।।

याद ताजा हो गई,तुम्हारी दसवी क्लास की।
सीने से जब लगाई पंखुड़ी रखी किताब की।।

जाकर क्या करूंगा मैं जन्नत में अब जाकर।
जब ज़मीं पर है तस्वीर जन्नत के ख्वाब की।।

देखकर तुम्हारी गर्दन,सुराही के याद आ गई।
सुराही बेकार है जब देखी डाली गुलाब की।।

गेसू देखकर तुम्हारे,जैसे काली घटाएं हो।
लगता है देखकर,बारिस होगी बे हिसाब की।।

रस्तोगी और क्या तारीफ़ करे,तेरे हुस्न की।
तुम गज़ल बन चुकी हो मेरे ही ख्वाब की।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
Tag: गजल
5 Likes · 12 Comments · 481 Views
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

खुद को पागल मान रहा हु
खुद को पागल मान रहा हु
भरत कुमार सोलंकी
ख़ुद को मुर्दा शुमार मत करना
ख़ुद को मुर्दा शुमार मत करना
Dr fauzia Naseem shad
अन्वेषा
अन्वेषा
Deepesh Dwivedi
"चाँद सा चेहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*An Awakening*
*An Awakening*
Poonam Matia
*नर से कम नहीं है नारी*
*नर से कम नहीं है नारी*
Dushyant Kumar
02/05/2024
02/05/2024
Satyaveer vaishnav
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
युद्ध का रास्ता
युद्ध का रास्ता
Arun Prasad
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
चंद मोहलतें
चंद मोहलतें
ओनिका सेतिया 'अनु '
दुश्मन ने छल-बल के बूते अपनी शातिर चालों से,
दुश्मन ने छल-बल के बूते अपनी शातिर चालों से,
*प्रणय*
औरत औकात
औरत औकात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*मन की सभी मलिनताओं का, होता हल संवाद है (हिंदी गजल)*
*मन की सभी मलिनताओं का, होता हल संवाद है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मूर्ख बताने वालो
मूर्ख बताने वालो
Dr.Pratibha Prakash
दिल के कागज़ पर हमेशा ध्यान से लिखिए।
दिल के कागज़ पर हमेशा ध्यान से लिखिए।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सीख
सीख
Adha Deshwal
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
आशा
आशा
Nutan Das
वो दिन क्यों याद
वो दिन क्यों याद
Anant Yadav
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
Phool gufran
24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/248. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जोर लगा के हइसा..!
जोर लगा के हइसा..!
पंकज परिंदा
डॉक्टर
डॉक्टर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सफ़र का अंत
सफ़र का अंत
डॉ. एकान्त नेगी
राम मंदिर निर्माण सपना साकार
राम मंदिर निर्माण सपना साकार
Sudhir srivastava
आशिक़ों को बेवफ़ाई मिली,
आशिक़ों को बेवफ़ाई मिली,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
श्री राम
श्री राम
Neerja Sharma
मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
मां -सही भूख तृष्णा खिलाया सदा
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
Loading...