तानाशाह
सुलग रही है चिंगारी
धमाका चाहे जब हो जाए!
तेरे ज़ुल्मत का निज़ाम
धुंए-सा चाहे जब खो जाए!!
मैं मुंतजिर हूं उस पल का
अपने लाव-लश्कर के साथ!
इतिहास के कूड़ेदान में
तू चुपचाप जब सो जाए!!
Shekhar Chandra Mitra
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