*तानाशाहों को जब देखा, डरते अच्छा लगता है 【हिंदी गजल/गीतिका】
तानाशाहों को जब देखा, डरते अच्छा लगता है 【हिंदी गजल/गीतिका】
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(1)
तानाशाहों को जब देखा, डरते अच्छा लगता है
बुलडोजर से त्राहिमाम जब, करते अच्छा लगता है
(2)
कभी नाक पर मक्खी तक भी, जिनके बैठी नहीं दिखी
देख नर्क के कैदी उनको, मरते अच्छा लगता है
(3)
इसी जन्म में किए पाप के, फल सारे मिल जाएँगे
झुकी हुई गर्दन से पानी, भरते अच्छा लगता है
(4)
राजनीति का खेल हमेशा, साँप और सीढ़ी-सा है
चढ़े हुए सूरज को उच्च, उतरते अच्छा लगता है
(5)
कुछ नेता जेलों में सड़ते, कुछ हैं अभी जमानत पर
सबके हाल देख कर देश, सँवरते अच्छा लगता है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451