ताटंक छंद
यह एक चार चरणों का मात्रिक छंद है ।प्रत्येक चरण में कुल 30 मात्राएँ होती हैं जिसमें 16-14 मात्रा भार के क्रम से यति निश्चित होती है ।
ताटंक छंद…
खग चहके वन उपवन महके, पूरब बयार है आई ।
है नव भोर चक्षुपट खोलो,अब तो जागो कन्हाई।।
भरी अंजुरि भक्ति पुष्पन से तव चरणन पर मैं वारूँ।
प्रातः का प्रारंभ तभी जब, प्रभु चरण धूलि स्वीकारूँ।।
रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©