Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2023 · 2 min read

ताजमहल के अहाते में प्रेमी जोड़े ने एक दूसरे का गला रेता

जोश में न तो होश खोना चाहिए न ही प्रेम को खालिश जोश के हवाले कर देना चाहिए!

जानता हूँ, प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है! यदि प्यार सच्चा है तब! नहीं तो फरेबी मुहब्बत अथवा प्रपंची प्रेम के किस्से भी कम नहीं सामने आ रहे।

प्रेम-प्रतीक ताजमहल परिसर में एक युगल प्रेमी ने एक दूसरे का गला आपसी सहमति से ब्लेड से रेत दिया। खून से लथपथ जोड़े को ताज-प्रशासन ने आगरे के किसी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। परसों घटना के समय ही उनकी स्थिति नाजुक थी, पता नहीं उनकी हालत अभी कैसी है?

प्रेमी ने जो घटनोत्तर बयान दिया उसके मुताबिक दोनों के घर वालों को उनका यह सम्बन्ध मंजूर नहीं था जबकि ये शादी करना चाहते हैं। लड़का हिन्दू है और लड़की मुस्लिम।

25 के आसपास की उम्र के ये बेरोजगार प्रेमी युगल अपने परिजनों की बेरुखी से तंग हो गये एवं इस हद तक आ गये। शायद, जान बचने के बाद ‘कामचलाऊ’ चंगा होने पर्वपहले ये हत्या की कोशिश के जुर्म में हवालात जाएं, एवं छूटने के बाद शादी की हरी झंडी अपने अभिभावकों से पा जाएँ। इस लोमहर्षक वाकये के बाद इनके मन की मुराद पूरी होना एक अलग खूनी-प्रेम का इतिहास बना जाएगा!

दरअसल, समाज का ताना-बाना इक्कीसवीं सदी में भी इतना संकीर्ण है कि जाति एवं धर्म के पार के ऐसे सम्बन्धों घटित होने पर नाते-रिश्ते, गाँव-समाज में प्रभावित परिवारों का स्वाभाविक रूप से रहना मुश्किल हो जाता है। घर वाले ऐसे सम्बन्धों से सहमत होने के बावजूद इन्हें आकार लेने को टालना ही चाहेंगे। प्रगतिशील से प्रगतिशील, जाति धर्म से मुंह बिचकाने वाले लोग तक ऐसे सिचुएशन में प्रेम-विरोधी आचरण कर बैठ सकते हैं! आखिर, आ बैल मुझे मार कौन पसंद करेगा?

मेरे ख्याल में प्रेमी जोड़ों में से कम से कम प्रेमिका का कोई अपना ठोस आर्थिक आधार तो होना ही चाहिए, जिससे वह घर-परिवार एवं बाद को प्रेमी के hostile होने पर भी अपना स्वतंत्र जीवन जी सके। हमारे समाज में अभी भी एकल युवा स्त्री का जीना आसान नहीं है। फिर भी, आर्थिक रूप से उसके स्वनिर्भर होने पर समाज से काफी कुछ लड़ने का आधार मिल जाता है।

अतः मेरा तो सुझाव होगा, लड़कियो! किसी के प्रेम में बेतरह पड़ने से पहले ठहरो, प्रेम की बुनियाद मजबूत करने से पहले अपनी जमीन मजबूत करो, अपने पैर पर खड़ा हो लो।

146 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr MusafiR BaithA
View all
You may also like:
मातृ दिवस
मातृ दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
निर्बल होती रिश्तो की डोर
निर्बल होती रिश्तो की डोर
Sandeep Pande
वसंततिलका छन्द
वसंततिलका छन्द
Neelam Sharma
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सत्य की खोज, कविता
सत्य की खोज, कविता
Mohan Pandey
यादों के शहर में
यादों के शहर में
Madhu Shah
तुम तो ख़ामोशियां
तुम तो ख़ामोशियां
Dr fauzia Naseem shad
कदम छोटे हो या बड़े रुकना नहीं चाहिए क्योंकि मंजिल पाने के ल
कदम छोटे हो या बड़े रुकना नहीं चाहिए क्योंकि मंजिल पाने के ल
Swati
"खूबसूरती"
Dr. Kishan tandon kranti
मै स्त्री कभी हारी नही
मै स्त्री कभी हारी नही
dr rajmati Surana
*
*"गौतम बुद्ध"*
Shashi kala vyas
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
Sapna Arora
मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा,
मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा,
Aarti sirsat
भ्रात-बन्धु-स्त्री सभी,
भ्रात-बन्धु-स्त्री सभी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अहिल्या
अहिल्या
अनूप अम्बर
*सीमा की जो कर रहे, रक्षा उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*सीमा की जो कर रहे, रक्षा उन्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सफर सफर की बात है ।
सफर सफर की बात है ।
Yogendra Chaturwedi
मौज में आकर तू देता,
मौज में आकर तू देता,
Satish Srijan
God O God
God O God
VINOD CHAUHAN
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
भ्रम नेता का
भ्रम नेता का
Sanjay ' शून्य'
नैया फसी मैया है बीच भवर
नैया फसी मैया है बीच भवर
Basant Bhagawan Roy
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
डॉक्टर रागिनी
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शक्तिशाली
शक्तिशाली
Raju Gajbhiye
विश्वास
विश्वास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
एक ज़माना था .....
एक ज़माना था .....
Nitesh Shah
कविता
कविता
Rambali Mishra
बड़ी कथाएँ ( लघुकथा संग्रह) समीक्षा
बड़ी कथाएँ ( लघुकथा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मूर्दों की बस्ती
मूर्दों की बस्ती
Shekhar Chandra Mitra
Loading...