ताजगी हो जाये
गर अपने आपको अपने से ही ,नाराजगी हो जाये।
फिर कहने और सुनने का मशला, कागजी हो जाये।
चलो अपनी बात को अपने दिल तक पहुँचा दें,
फासले मिटे इस कदर की ,जेहन में ताजगी हो जाये।
– सिद्धार्थ पाण्डेय
गर अपने आपको अपने से ही ,नाराजगी हो जाये।
फिर कहने और सुनने का मशला, कागजी हो जाये।
चलो अपनी बात को अपने दिल तक पहुँचा दें,
फासले मिटे इस कदर की ,जेहन में ताजगी हो जाये।
– सिद्धार्थ पाण्डेय