ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
पीड़ाओं के हृदय पर हास लिख दो।
शुष्क जीवन के द्रवित-ठूंठे -तरु पर,
मधु-मिश्रित मलयमय मधुमास लिख दो।
©ऋतुपर्ण
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
पीड़ाओं के हृदय पर हास लिख दो।
शुष्क जीवन के द्रवित-ठूंठे -तरु पर,
मधु-मिश्रित मलयमय मधुमास लिख दो।
©ऋतुपर्ण