ताकत
हासिम मंत्री बन चुका था अब जब भी वह आता पूरा काफिला उसके साथ चलता इलाके के सारे प्रधान ब्लाक प्रमुख पंचायत सदस्य उसके पास अपने अपने क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार विकास के लिए पैसा एव अपने अपने क्षेत्र की जनता के कार्यो के लिए सिफारिश करने आते।
लेकिन हाशिम् उस प्रधान को कभी नही भुला जिसने उसे बचपन मे ही गुमराह करके बर्बाद करने की कोई कोर कसर नही छोड़ी थी ।
उससे मिलना भी प्राधन की छोटी राजनीतिक आवश्यकता बन गयी थी जब भी प्रधान जी मिलने आते वह उनके साथ वैसा ही व्यवहार करता जैसा उसके साथ प्रधान जी ने बचपन के दिनों में किया था वह कहता आओ प्राधन जी जमाना
#जिसकी लाठी उसकी भैस # का है कल तक लाठी तुम्हारे हाथ मे थी और तुम गांव की जनता को जानवर समझकर जिधर चाहते उधर ही हांकते थे लेकिन आज लाठी हमारे हाथ मे है लेकिन हम जनता को जानवर नही बल्कि जनार्दन समझते है और उसके सम्मान एव हक के साथ कभी बदसलूकी या नाइंसाफी नही करेंगे ।
बेशक की हम खुद उसी नाइंसाफी की कोख से जन्मे राजनीतिज्ञ है लेकिन हमें उस दर्द का सिद्दत से एहसास है जिसे हमने स्वंय महसूस किया है।
हम इतने गैरतमंद घटिया इंसान नही हो सकते राजनितिक सफलता के लिए कोई भी चाल चले आम जनता का अहित कभी नही बर्दास्त कर सकते है चाहे हिन्दू हो मुसलमान हो या किसी धर्म जाती का वह सबसे पहले वह भारतीय एव देश प्रदेश का इज़्ज़तदार नागरिक है ।
जिसके लिए मेरे खून का कतरा कतरा कुर्बान है जबकि आप गांव वालो के खून के कतरे कतरे को भय भूख दहसत के साये में पीते और उसी की क्रूर कुटिल लाठी आपके हाथ थी जिसकी मार की पैदाइश मैं हूँ।
मैं बेसक क्रूर कुटिलता भय दहसत दलाली की आपकी राजनीतिके शैली की उपज हूँ फिर भी मैं अन्याय अत्यचार जाती धर्म की संकीर्ण राजजनीति के विरुद्ध ही अपनी राजनीतिक जीवन का समर्पण करूँगा ।
मेरी ताकत की लाठी उठेगी अन्याय अत्याचार भय दहसत के खात्मे के लिए ना कि उसे जन्म देने के लिए आज मेरी लाठी धर्म है ।
प्राधन जी यह तो सदियों से चला आ रहा है कि ताकत ही शासन का मूल स्रोत है लेकिन ताकत का बेजा इस्तेमाल ही क्रूरता कुटिलता अहंकार को जन्म देता है प्राधन जी आपने तो यही सोच लिया कि आप कभी बूढ़े नही होंगे कभी मरेंगे नही सदा आपके हाथ मे गांव की जनता ताकत की लाठी सौंपती रहेगी और आपके शक्ति शासन का शौर्य कभी डूबेगा ही नही आपने यही सोच कर गांव के उदयीमान नौजवानों को अपनी सत्ता शासन के दम पर पैसे के जोर पर ऐसे दल दल में ढकेल दिया जो कभी भी आपको चुनौती दे सकने में सक्षम नही हुये उनमें मैं भी एक था पता नही मेरे मां बाप ने कौन से पुण्य किये थे जिससे कि मुझे अंधेरे के दल दल में भी रौशनी मिल गयी फिर भी मैं आपको चुनौती नही दे रहा कही न कही सहयोग ही कर रहा हूँ।
अपने गांव की बहू बेटियों जिस पर आपकी नजर पड़ गयी बर्बाद करने में कोई कोर कसर नही उठा रखा क्योकि आपको मालूम था कि आपको प्रधानी भी उसी रास्ते से मिली है ।
प्रधान जी मैंने सारे रास्तों को सिर्फ इसलिये ही अपनाया की मुझे आपके द्वारा दलदल में धकेलने के बाद अंधेरे में मुझे जिंदगी की रौशनी मकशद मिल जाये मैं कभी भी शासन सत्ता की शक्ति से आम जन को जानवरों की तरह नही हांकूँगा मैं सदैव उनके कल्याण एव विकास के लिए ही ताकत की लाठी उठाऊंगा और #जिसकी लाठी उसकी भैस # कहावत को नकार कर जनता की लाठी जनता की ताकत बनाऊंगा।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश ।।