Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2023 · 3 min read

ताकत

हासिम मंत्री बन चुका था अब जब भी वह आता पूरा काफिला उसके साथ चलता इलाके के सारे प्रधान ब्लाक प्रमुख पंचायत सदस्य उसके पास अपने अपने क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार विकास के लिए पैसा एव अपने अपने क्षेत्र की जनता के कार्यो के लिए सिफारिश करने आते।

लेकिन हाशिम् उस प्रधान को कभी नही भुला जिसने उसे बचपन मे ही गुमराह करके बर्बाद करने की कोई कोर कसर नही छोड़ी थी ।

उससे मिलना भी प्राधन की छोटी राजनीतिक आवश्यकता बन गयी थी जब भी प्रधान जी मिलने आते वह उनके साथ वैसा ही व्यवहार करता जैसा उसके साथ प्रधान जी ने बचपन के दिनों में किया था वह कहता आओ प्राधन जी जमाना
#जिसकी लाठी उसकी भैस # का है कल तक लाठी तुम्हारे हाथ मे थी और तुम गांव की जनता को जानवर समझकर जिधर चाहते उधर ही हांकते थे लेकिन आज लाठी हमारे हाथ मे है लेकिन हम जनता को जानवर नही बल्कि जनार्दन समझते है और उसके सम्मान एव हक के साथ कभी बदसलूकी या नाइंसाफी नही करेंगे ।

बेशक की हम खुद उसी नाइंसाफी की कोख से जन्मे राजनीतिज्ञ है लेकिन हमें उस दर्द का सिद्दत से एहसास है जिसे हमने स्वंय महसूस किया है।

हम इतने गैरतमंद घटिया इंसान नही हो सकते राजनितिक सफलता के लिए कोई भी चाल चले आम जनता का अहित कभी नही बर्दास्त कर सकते है चाहे हिन्दू हो मुसलमान हो या किसी धर्म जाती का वह सबसे पहले वह भारतीय एव देश प्रदेश का इज़्ज़तदार नागरिक है ।

जिसके लिए मेरे खून का कतरा कतरा कुर्बान है जबकि आप गांव वालो के खून के कतरे कतरे को भय भूख दहसत के साये में पीते और उसी की क्रूर कुटिल लाठी आपके हाथ थी जिसकी मार की पैदाइश मैं हूँ।

मैं बेसक क्रूर कुटिलता भय दहसत दलाली की आपकी राजनीतिके शैली की उपज हूँ फिर भी मैं अन्याय अत्यचार जाती धर्म की संकीर्ण राजजनीति के विरुद्ध ही अपनी राजनीतिक जीवन का समर्पण करूँगा ।

मेरी ताकत की लाठी उठेगी अन्याय अत्याचार भय दहसत के खात्मे के लिए ना कि उसे जन्म देने के लिए आज मेरी लाठी धर्म है ।

प्राधन जी यह तो सदियों से चला आ रहा है कि ताकत ही शासन का मूल स्रोत है लेकिन ताकत का बेजा इस्तेमाल ही क्रूरता कुटिलता अहंकार को जन्म देता है प्राधन जी आपने तो यही सोच लिया कि आप कभी बूढ़े नही होंगे कभी मरेंगे नही सदा आपके हाथ मे गांव की जनता ताकत की लाठी सौंपती रहेगी और आपके शक्ति शासन का शौर्य कभी डूबेगा ही नही आपने यही सोच कर गांव के उदयीमान नौजवानों को अपनी सत्ता शासन के दम पर पैसे के जोर पर ऐसे दल दल में ढकेल दिया जो कभी भी आपको चुनौती दे सकने में सक्षम नही हुये उनमें मैं भी एक था पता नही मेरे मां बाप ने कौन से पुण्य किये थे जिससे कि मुझे अंधेरे के दल दल में भी रौशनी मिल गयी फिर भी मैं आपको चुनौती नही दे रहा कही न कही सहयोग ही कर रहा हूँ।

अपने गांव की बहू बेटियों जिस पर आपकी नजर पड़ गयी बर्बाद करने में कोई कोर कसर नही उठा रखा क्योकि आपको मालूम था कि आपको प्रधानी भी उसी रास्ते से मिली है ।

प्रधान जी मैंने सारे रास्तों को सिर्फ इसलिये ही अपनाया की मुझे आपके द्वारा दलदल में धकेलने के बाद अंधेरे में मुझे जिंदगी की रौशनी मकशद मिल जाये मैं कभी भी शासन सत्ता की शक्ति से आम जन को जानवरों की तरह नही हांकूँगा मैं सदैव उनके कल्याण एव विकास के लिए ही ताकत की लाठी उठाऊंगा और #जिसकी लाठी उसकी भैस # कहावत को नकार कर जनता की लाठी जनता की ताकत बनाऊंगा।।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश ।।

Language: Hindi
180 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
थक गये चौकीदार
थक गये चौकीदार
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
Tum ibadat ka mauka to do,
Tum ibadat ka mauka to do,
Sakshi Tripathi
यूं तेरे फोटो को होठों से चूम करके ही जी लिया करते है हम।
यूं तेरे फोटो को होठों से चूम करके ही जी लिया करते है हम।
Rj Anand Prajapati
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
Keshav kishor Kumar
मातृभूमि
मातृभूमि
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🙅इत्ता सा अंतर🙅
🙅इत्ता सा अंतर🙅
*प्रणय*
ज़िंदगी की जद्दोजहद
ज़िंदगी की जद्दोजहद
Davina Amar Thakral
*
*"ऐ वतन"*
Shashi kala vyas
ये क़िताब
ये क़िताब
Shweta Soni
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
ढ़ांचा एक सा
ढ़ांचा एक सा
Pratibha Pandey
“अशान्त मन ,
“अशान्त मन ,
Neeraj kumar Soni
वापस आना वीर
वापस आना वीर
लक्ष्मी सिंह
पास तो आना- तो बहाना था
पास तो आना- तो बहाना था"
भरत कुमार सोलंकी
शीर्षक -  आप और हम जीवन के सच
शीर्षक - आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
कितने ही वादे करें,
कितने ही वादे करें,
sushil sarna
अजीब सी बेताबी है
अजीब सी बेताबी है
शेखर सिंह
"मोहलत"
Dr. Kishan tandon kranti
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
Sanjay ' शून्य'
जय भवानी, जय शिवाजी!
जय भवानी, जय शिवाजी!
Kanchan Alok Malu
कोशिशों  पर  यक़ी  करो  अपनी ,
कोशिशों पर यक़ी करो अपनी ,
Dr fauzia Naseem shad
मर्यादा की लड़ाई
मर्यादा की लड़ाई
Dr.Archannaa Mishraa
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
SHAMA PARVEEN
4042.💐 *पूर्णिका* 💐
4042.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
मैं तेरा श्याम बन जाऊं
मैं तेरा श्याम बन जाऊं
Devesh Bharadwaj
"Communication is everything. Always always tell people exac
पूर्वार्थ
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रंग अलग है
रंग अलग है
surenderpal vaidya
Loading...