तहक़ीर
जाहिलों के हुज़ूम में
ख़िरद की क़ीमत कहाँ ?
हैवानियत के आलम में
हमदर्दी की शु’आ’ कहाँ ?
चोरों के बाज़ार में
ईमानदारों का वुजूद कहाँ ?
बे-हयाई की महफ़िल में
शर्मिंदग़ी का एहसास कहाँ ?
ज़रदार की निग़ाह में
मुफ़लिस की हस्ती कहाँ ?
ज़ुल्म -ओ- तशद्दुद के निज़ाम में
इंसाफ़ की आस कहाँ ?
मुंकिर की नज़र में
निस्बत -ए – बंदगी कहाँ ?