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8 Jan 2019 · 1 min read

अल्फ़ाज़

पलक झपकते सूरत तेरी
तस्वीरों में उतर गई
आँख खुली तो पता चला
ये महफ़िल फिर से बिखर गई
वैसे तो दीवाने उनके
दर से रोज गुज़रते हैं
आज मगर ठंडी हवायें
हमसे होकर गुजर गई
आँख खुली तो….
यूं तो बारिश की बूंदें भी
दीद तुम्हारा करती हैं
पर दीदार हुआ हमको तो
ज़िंदगी जैसे संवर गई
आँख खुली तो पता चला
ये महफ़िल फिर से बिखर गई
अब हर पल छिन नगमा उनका
सांसें भी दोहराती हैं
पर जो आहट हुई तुम्हारी
नज़र हमारी उधर गई
आँख खुली तो …

3 Likes · 1 Comment · 438 Views
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