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11 Nov 2024 · 1 min read

तलाश

ज़िंदगी के शोर से मैं थक सा गया हूँ ,
किसी वीराने की तलाश में भटकता फिर रहा हूँ ,

जहाँ चन्द पल सुकुँ से गुज़ार सकूँ ,

जहाँ मै रहूँ और मेरी तन्हाई ,
ना हो एहसास -ए – फ़ुर्क़त ,
ना हो शनासाई ,

जहाँ अपनी ख़ुदी को पहचान सकूँ ,
जहाँ अपने फ़र्ज और ज़र्फ़ को जान सकूँ।

Language: Hindi
29 Views
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