तलाश
चल पड़ा हूँ अपनी तलाश में
अब ना जाने कब खत्म होगी ये डगर ?
क्या ढूंढ पाऊँगा अपने आप को कभी?
या फिर खो जाऊँगा कहीं, किसी अनजान शहर?
चल पड़ा हूँ अपनी तलाश में
अब ना जाने कब खत्म होगी ये डगर ?
क्या ढूंढ पाऊँगा अपने आप को कभी?
या फिर खो जाऊँगा कहीं, किसी अनजान शहर?