तलाश
मेरी जिंदगी की हर तलाश अधूरी रह गयी ,
जो ख्वाब देखे उनकी ताबीर अधूरी रह गई।
लोग कहते है ढुढ्ने पर खुदा भी मिल जाता है ,
ख़ुदा क्या मिलेगा जब उसकी राह ही खो गई।
मैं तो उन अरमानों को रोयूं ,जो पूरे न हो सके ,
अपनी तो आंसुओं में सारी जिस्त घुल गई ।
छोटी सी मामूली चीज़ तो ढुढ्ने से मिलती नहीं,
मुझे मंज़िल कहां मिलेगी जो जाने कहाँ खो गई !
जिंदगी में जाने कितनी कीमती चीज़ें मैने खोई,
जिनकी यादें मेरे ज़हन में कैद होकर रह गई।
वो यादें थी मेरे बचपन के सुहाने दिन की दोस्तों !
जो वक्त की रफ्तार में बहुत पीछे छूटी रह गई ।
खुशी ,सुख ,आनंद,शांति और मन का चैन खोया ,
एक बेचैनी ,तड़प और कशमकश बाक़ी रह गई ।
अब मुझे किसकी तलाश है ए जिंदगी तू ही बता,
जिसके ख्याल में डूबकर ठोकर खाकर गिर गई ।
कोई हमदर्द भी न मिला किसे हाल -ऐ- दिल कहूँ ? ,
तलाश -ए-हमराज़ / हमराह भी अधूरी रह गई ।
अब तो बेशुमार दर्द -ओ -गम ही संभाले बैठी हूँ ,
जो इस छोटे से दिल के किसी कोने में रह गई।
“अनु'”के जज़्बातों की किताब बंद रही तमाम उम्र ,
कौन समझता उसे जो दुनिया में पहेली रह गईं।