तलाश
था कभी एक समूह का हिस्सा //
अब अकेला सा हो गया हु //
था कभी पैदल, मंद बुद्धि सा मुसाफिर //
अब खुद की खोज मे निकल गया हु //
अबतो, ना तो समय का पता चलता, और ना ही हाल का //
इस जमाने से जरा कट-सा गया हु //
इरादे तो मज़बूत हैँ, मंजिल तक जाने के लिए //
अब एक अवसर की तलाश हैँ, कुछ कर दिखाने के लिए //
:~कविराज श्रेयस सारीवान