तलाश मौकों की
दिनांक 28/3/19
है
बहुत
बेईमान
जिन्दगी
अपनी कम
पराई ज्यादा है
जिन्दगी
जाने मत दो
मौकों को
हाथ से
कब रूठ
ये जिन्दगी
मौकों की है
अजब कहानी
अपने कम
बेगाने ज्यादा है
ये मौके
मांगे दुआ
मौला से इतनी
किन्ही भी
मौकों पर
न रहे खाली
झोली
फकीर की
ऐ
इन्सान
तम बन तू
इतना खुदगर्ज़
घोटाले दे गला
दूसरों का
अपने मौकों
के लिए
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल