तलाश में हूँ
‘किंतु’ ‘परन्तु’ और ‘काश’ में हूँ,
मैं स्वयं की ही तलाश में हूँ।।1।।
बेफिक्र उड़ते इन परिंदों सा,
किसी अनंत आकाश में हूँ।।2।।
पराजित कर इस अंधकार को,
नित नव नूतन प्रकाश में हूँ।।3।।
समय चक्र में होगा परिवर्तन,
कब से बैठा इसी आस में हूँ।।4।।
सबको अपना सम्मान मिले,
मैं केवल इसी प्रयास में हूँ।।5।।
स्वरचित
तरुण सिंह पवार
दिनांक 22/03/2021