तलाशी जिंदगी
रास्तो की भीड़ थी , नकाबो के शहरों में
ढूंढता तुझे कोई , हजारों की ढेरों में
जलती बुझती रातों की ,रोशनी चुराई है
तब जा के मैंने ,अपनी पहचान पायी है
बोलता सबके सामने, छुपाने की ना बात है
मेहनत की है , पसीना मेरे साथ है
रोटी के टुकड़ों को, बिकते देखा है
लाखों की भीड़ में हजारों को , फुटपाथ पे सोते देखा है
बस के धक्के थे होटलों के खर्चे थे
रहती थी जो हैवानियत उनके चर्चे थे
लड़ते थे कटते थे
मेरे ही लोग धर्मों में बटते थे
कसमें थी रस्में थी वह सड़कों पर आई है
नशे की हालत में इज्जत कीचड़ में मिलाई है
रहती है साथ देती है किस्मत की चाबी
हर ताले को खोल देती है मेरी मां की नज़रो की थाली
किताबों के ज्ञान से ज्यादा जिंदगी सिखाती है
मौत मे कैसे मुस्कुराना है जिंदगी बताती है
तू रहता है खयालों में
और खयाल ही मुझको मुझसे जगाते है
रहता तू बस अपने दायरे में , लेकिन
मैंने आसमानों को ,जमी पे आते देखा है
जो है हाथ उनको ,पंख बना ले तू
खुद की कमजोरियों के पहाड़ों से खुद को गिरा ले तू
अब बढ़ जा आगे और , सब कुछ भुला दे तू
जिंदगी में जो सोचा है , वह करके दिखा दे तू
यही जिंदगी की कहानी है
एक हाथ भर लो , तो दूसरा हाथ खाली है