Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2023 · 1 min read

तलाक़

तुम्हें छोड़ने का ये निर्णय हमारा, अचानक नहीं था।
करूं गर मैं तुलना तेरे बहसीपन से, भयानक नहीं था।।
खोकर के सब कुछ, तुम्हे माफ करना एकाएक नही था।
ये है तेरे शितम की कहानी,यूं ही कोई झूठा कथानक नही था।।

Language: Hindi
1 Like · 168 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
1. चाय
1. चाय
Rajeev Dutta
2606.पूर्णिका
2606.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सुकून
सुकून
Neeraj Agarwal
ग़म-ए-दिल....
ग़म-ए-दिल....
Aditya Prakash
जी-२० शिखर सम्मेलन
जी-२० शिखर सम्मेलन
surenderpal vaidya
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके
इंजी. संजय श्रीवास्तव
लाल और उतरा हुआ आधा मुंह लेकर आए है ,( करवा चौथ विशेष )
लाल और उतरा हुआ आधा मुंह लेकर आए है ,( करवा चौथ विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
सज गई अयोध्या
सज गई अयोध्या
Kumud Srivastava
बोलती आंखें🙏
बोलती आंखें🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जनक छन्द के भेद
जनक छन्द के भेद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*तपन*
*तपन*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पढ़ता  भारतवर्ष  है, गीता,  वेद,  पुराण
पढ़ता भारतवर्ष है, गीता, वेद, पुराण
Anil Mishra Prahari
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
Neerja Sharma
.
.
Ragini Kumari
कितना खाली खालीपन है !
कितना खाली खालीपन है !
Saraswati Bajpai
हमारी आंखों में
हमारी आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
महेश चन्द्र त्रिपाठी
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,
शेखर सिंह
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
■ दोहा-
■ दोहा-
*प्रणय प्रभात*
शीर्षक – वेदना फूलों की
शीर्षक – वेदना फूलों की
Sonam Puneet Dubey
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******
****** घूमते घुमंतू गाड़ी लुहार ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
__________________
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
manjula chauhan
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shaily
प्रेम
प्रेम
Sanjay ' शून्य'
Loading...