तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय ।
शरम से आँखें झुकाता है प्रलय ।
जाग ! सद्नायक बने औ बना दे।
राष्ट्र-तम पर अरुण-आभा का निलय।
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बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
वर्ष 2013 में प्रकाशित मेरी(बृजेश कुमार नायक की) कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए” का मुक्तक
Brijesh Nayak
15-04-2017
●जागा हिंदुस्तान चाहिए काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।