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23 Apr 2020 · 1 min read

तरस गये हैं

तरस गये हैं
पहली बार हुआ यूँ ,
कि सुनने को तेरी बातें तरस गये हैं,
मोबाइल से रिश्ते निभाते निभाते,
संवेदनाओं को ही हम ख़र्च गये हैं
अब ऊब सी मच रही है,
इसे देखने भर से,
चाहता है दिल फिर से हाथ मिलाना
और सबको गले लगाना,
अक्सर माँ , दादी की खुली बाहों को नकारा हमने,
और घुसे रहे इस संवेदनहीन यंत्र में हम,
आज उन्ही बाहों को तरस गये हम,
संवेदनाओं को ही ख़र्च गये हम…

Language: Hindi
2 Likes · 304 Views
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