तय
वो कौन है जो तूफान तय करे
वही जो ज़मीन आसमान तय करें
हवा का रुख़ मौसम के नख़रे और
गर्ज़ ये कि परिंदा अपनी उड़ान तय करे
ईमानदारी तबियत की कोई बीमारी नहीं
कि इलाज कोई बेईमान तय करे
वो जो झुक जाये है बुलन्दी पे जाके
उनका क्या कोई ईमान तय करे
सब का अपना अपना रास्ता ‘अजय’
सब अपना अपना सामान तय करे
लगानी हो जिसको अपने नाम की पट्टी
वो खुद अपना चल के निशान तय करे
अजय मिश्र