Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं

तमाम राजो का भी राज दफन रखते हैं
रकीबों की हर चाल पे बारीक नजर रखते हैं
है सारी कायनात हमारी शख्सियत की कायल
समंदर पार भी सब अपना जिक्र करते हैं
अपनी उंगलियों का अदना सा शौक है “अयन”
जमाने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं

(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
81 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Tiwari 'Ayan'
View all
You may also like:
👌कही/अनकही👌
👌कही/अनकही👌
*प्रणय*
Life is Beautiful?
Life is Beautiful?
Otteri Selvakumar
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
प्रेम का मतलब
प्रेम का मतलब
लक्ष्मी सिंह
काल का स्वरूप🙏
काल का स्वरूप🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
निराशा से आशा तक 😊😊
निराशा से आशा तक 😊😊
Ladduu1023 ladduuuuu
क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम
क्या एक बार फिर कांपेगा बाबा केदारनाथ का धाम
Rakshita Bora
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
gurudeenverma198
*पास बैठो घड़ी दो घड़ी*
*पास बैठो घड़ी दो घड़ी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Bundeli doha-fadali
Bundeli doha-fadali
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
3531.🌷 *पूर्णिका*🌷
3531.🌷 *पूर्णिका*🌷
Dr.Khedu Bharti
शीर्षक – निर्णय
शीर्षक – निर्णय
Sonam Puneet Dubey
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
Neelofar Khan
!! हे उमां सुनो !!
!! हे उमां सुनो !!
Chunnu Lal Gupta
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
गीत
गीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"व्यथा"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने हुस्न पर इतना गुरूर ठीक नहीं है,
अपने हुस्न पर इतना गुरूर ठीक नहीं है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* आओ ध्यान करें *
* आओ ध्यान करें *
surenderpal vaidya
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
गुमनाम 'बाबा'
दफन करके दर्द अपना,
दफन करके दर्द अपना,
Mamta Rani
Confession
Confession
Vedha Singh
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
राम आए हैं भाई रे
राम आए हैं भाई रे
Harinarayan Tanha
अपने हक की धूप
अपने हक की धूप
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
मेरी ज़रूरतें हैं अजब सी बड़ी, कि मैं,
Kalamkash
ट्रेन संख्या १२४२४
ट्रेन संख्या १२४२४
Shashi Dhar Kumar
फिर फिर मुड़ कर
फिर फिर मुड़ कर
Chitra Bisht
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
Phool gufran
Loading...