तमगा
तुम एक बार ही सही,उनसे तो मिलाते,
बेशक हम उनसे हाथ भी नाही मिलाते!
मिलने मिलाने से ही,शायद दिल मिलते
दिल नामिले तब तक हाथ नाही मिलाते!!
बेशक कोरौना का भूत काफूर हो गया,
खौफ की ज़द, हम अब भी है निभाते!!
छाछ के जले है, दूध फूक कर है पीते,
पीने पिलाने की रस्म,हम नाही निभाते!!
लाखो घर हुए है तबाह, इस ऐमाल से,
ऐसे बेगैरतो को, हम मुह नाही लगाते!!
बेशक घमन्डी होने का मिल जाए तमगा,
पर हम तो जीते हुए तमगे नाही लगाते!!
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202,नीरव निकुजं,फेस-2 सिकंदरा,आगरा-282007
मो:9412443093