तभी तो जनाजा खुद ही सजाके चलता हूं
मैं तो बस हमेशा मुस्कुराके चलता हूं
हवा के साथ-साथ गुनगुनाते चलता हूं
खयाल रखता हूं कोई खफा ना हो कभी
इसलिए सबसे दिल मिलाके चलता हूं
अश्क बहाने से कुछ नहीं होता हासिल
मैं बस फूल सा खिलखिलाके चलाता हूं
लोग चलते-चलते इल्ज़ाम लगा देते हैं
क्या करूं सबसे दामन बचाके चलता हूं
मैंने ‘विनोद’ तस्वीर ज़माने की देखी है
तभी तो जनाजा खुद ही सजाके चलता हूं