तभीआनंदित हृदयअविराम हो |
जागरण दीपक बनो, सम्मान हो |
विचारों की सुगति की पहचान हो |
स्वयं को विकसित करो, निज तम हरो |
तभी आनंदित हृदयअविराम हो |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “कौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
जागरण दीपक बनो, सम्मान हो |
विचारों की सुगति की पहचान हो |
स्वयं को विकसित करो, निज तम हरो |
तभी आनंदित हृदयअविराम हो |
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “कौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता