तब होगी असली धनतेरस
एक बच्चे के प्यार की खातिर,
उसके हक अधिकार की खातिर l
मोबाइल ,कंप्यूटर ,टीवी , मित्र मंडली, महफिल त्यागे।
दो मीठे बोलो से पूरित बचपन के स्वर्णिम पल झांके।
माता पिता है उसकी दौलत,
तब होगी असली धनतेरस।
,सांझ ढले जब तू थक जाए,
घर की दहलीज तुझे पुकारे।
चौखट पर कोई आंखें गाडे,
घंटों तेरी बाट निहारे।
एक मीठी मुस्कान से,
केवल चुटकी में थकान उतारे,
सबसे बड़ा धन मुस्कान में निहित ,
तब होगी असली धनतेरस ।
चाय की प्याली गपशप थोड़ी
दिन भर की उलझन सुलझा दे।
पति प्यार से बातें पूछे,
चाय पिए उसको सहला दे।
असली धन है प्रेम पति का,
तब होगी असली धनतेरस।
वृद्ध पिता आवाज लगाए,
बूढ़ी मां भी चल नहीं पाए।
जीवन की नीरस शाम में ,
ढूंढे से भी मीत ना पाए।
ऐसे में उनका एक बेटा,
मीत बने और फर्ज निभाए ।
असली धन है पुत्र पिता का,
तब होगी असली धनतेरस।
रेखा अब बाजारों में क्या ?
सुख समृद्धि ढूंढ रहे हो।
भारत की संस्कृति खोकर,
धनतेरस को ढूंढ़ रहे हो।
कोख में बेटी को न मारो।
जीवन दो और उसे पढ़ाओ।
मान सम्मान बढे बेटी का ।
तब होगी असली धन तेरस।