तब से भागा कोलेस्ट्रल
बढ़ा शरीर में काॅलेस्ट्रल,
कुछ न सूझा इसका हल,
आसन करूंँ या प्राणायाम,
दौड़ लगाऊंँ या व्यायाम,
सब कुछ नीरस जैसा लगता,
आलस मन के पीछे पड़ता।
बढ़ा शरीर में काॅलेस्ट्रल,
कुछ न सूझा इसका हल,
डॉक्टर-वैद्य से करूंँ इलाज
या जाऊंँ महंँगा अस्पताल,
कर दूंँ भोजन का ही त्याग,
घी, तेल औ चिकन कबाब।
बढ़ा शरीर में काॅलेस्ट्रल,
तब सूझा इक इसका हल,
सब्जी का इक बाग लगाया,
गोभी, भिंडी दो-एक फल,
नित्य बागवानी औ गौसेवा,
तब से भागा काॅलेस्ट्रल।
मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय, (बिहार)