तब से तुम्ही नूर ए नजर है
तुमसे मिल गई जो नजर है
तब से तुम्ही नूर ए नजर है
आने लगे हो तुम ख्यालों में
देखूँ मैं अब तुम्हें ख्वाबों में
मेरे जीवन की तू ही डगर हैं
तब से तुम्ही नूर ए नजर है
दिल में तुम्हीं को बसाया हैं
अरमानों में तुम्हें सजाया है
सोचूँ मैं, तू मेरी हमसफर है
तब से तुम्ही नूर ए नजर हैं
जीना दुश्वार ,लगी लगन है
यादों में तेरी रहता मगन है
प्यार तुम्हारा प्रेम समर है
तब से तुम्ही नूर ए नजर है
प्रेम की दिल मे समीर चली
खिली दिल की कली कली
मिले हो तुम,सुहाना सफर है
तब से तुम्ही नूर ए नजर है
बाहर भी बरसात बरस रही
दिल में प्रेम वर्षा बरस रही
तन और मन भीगी नजर है
तब से तुम्ही नूर ए नजर है
तुमसे मिल गई जो नजर है
तब से तुम्ही नूर ए नजर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत