तब दर्द तो दिल को होता है ….
झूठ के जब पाँव पसरते
सच एक कोने में रोता है ।
गम खाने वाला, रात को
आँसू पीकर जब सोता है ।
तब दर्द तो दिल को होता है !
बेपरवाह दायित्व से कोई
नींद चैन की सोता है ।
अनगिन फर्जों को लादे कोई
बोझ से दोहरा होता है ।
तब दर्द तो दिल को होता है !
जी हुजूरी करने वाला
सीढ़ी चढ़ता जाता है ।
आदर्शों पर चलने वाला
नीचे खड़ा रह जाता है ।
तब दर्द तो दिल को होता है !
सुख – दुख का साथी जब
दुख में न साथ निभाता है ।
सुख सपना बनकर जब
खिसक हाथ से जाता है ।
तब दर्द तो दिल को होता है !
– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)